गऊघाट से बड़े पुल तक स्वच्छ हुआ नदी का पानी

लॉकडाउन और कफ्र्यू का असर,गंभीर बांध में पर्याप्त पानी स्टोर होने के कारण पेयजल के लिये नहीं ले रहे शिप्रा का पानी

लॉकडाउन और कफ्र्यू लागू होने के बाद से शिप्रा नदी के किसी भी घाट पर लोगों के आवागमन और स्नान, पूजन को प्रतिबंधित कर दिया गया है।

पिछले एक माह से अधिक समय के बीच अनेक तीज, त्यौहार और पर्व स्नान आये लेकिन एक भी श्रद्धालु को नदी में स्नान की अनुमति नहीं मिली। खास बात यह कि नदी के घाटों पर किये जाने वाले पिण्डदान, कर्मकाण्ड व अन्य पूजन कार्य भी प्रतिबंधित हैं जिसका असर यह हुआ कि अब शिप्रा नदी का पानी पूरी तरह स्वच्छ हो चुका है, हालांकि इस पानी को पीएचई विभाग द्वारा पेयजल उपयोग के लिये नहीं लिया जा रहा।

पिछले वर्ष मानसून सीजन के दौरान भरपूर बारिश हुई जिसका परिणाम यह रहा कि गंभीर बांध के गेट भी खोलना पड़े और मानसून बिदाई तक गंभीर बांध अपनी पूरी क्षमता 2250 एमसीएफटी तक भरा था। पीएचई विभाग द्वारा शहर में पेयजल सप्लाय के लिये नदी और बांध के पानी का उपयोग किया गया, लेकिन बाद में शिप्रा नदी में खान का गंदा व बदबूदार पानी मिलने के कारण शिप्रा नदी से पेयजल सप्लाय के लिये पानी लेना बंद कर गंभीर बांध से ही शहर में पेयजल की आपूर्ति की गई।

हालांकि मकर संक्रांति पर्व स्नान के पहले खान डायवर्शन लाइन में सुधार करवाने और गंदे पानी को शिप्रा नदी में मिलने से रोकने के उपाय के बाद त्रिवेणी स्टापडेम से लेकर छोटे पुल तक गंदे पानी को आगे बहाया गया और पाइप लाइन के माध्यम से शिप्रा नदी में नर्मदा का पानी स्टोर किया गया। यह पानी त्रिवेणी से लेकर बड़े पुल तक स्टोर रहा बावजूद इसके शिप्रा नदी में मौजूद नर्मदा के स्वच्छ पानी को पेयजल सप्लाय के उपयोग में नहीं लिया गया।

पिछले दिनों त्रिवेणी पर खान नदी के गंदे पानी को रोकने के लिये बनाया गया मिट्टी का स्टापडेम टूट गया और खान का गंदा पानी पुन: स्टापडेम तक भर गया, लेकिन इस गंदे पानी को पीएचई विभाग ने स्टापडेम के गेट बंद कर त्रिवेणी पर ही रोक दिया। जिसका परिणाम यह रहा कि वर्तमान में शिप्रा नदी में स्टोर नर्मदा का पानी साफ एवं स्वच्छ रह गया, जबकि लॉकडाउन और कफ्र्यू के बीच नदी के घाटों पर पूजन कार्य और आम लोगों के आवागमन पर प्रतिबंध के कारण अब नदी में स्टोर पानी की गुणवत्ता और भी सुधर गई है।

पीएचई अधीक्षण यंत्री धर्मेन्द्र वर्मा ने बताया कि शिप्रा नदी में गऊघाट से लेकर बड़े पुल तक स्टोर पानी की गुणवत्ता काफी अच्छी है, लेकिन उस पानी को पेयजल सप्लाय के उपयोग में नहीं लिया जा रहा। गंभीर बांध में जरूरत के मुताबिक पर्याप्त पानी स्टोर है और पूरे शहर में वहीं से पेयजल सप्लाय का पानी उपयोग में लिया जा रहा है।

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